हे मातृशक्ति आप मूर्ति नहीं इंसान हो, हे मातृशक्ति आप मूर्ति नहीं इंसान हो,
तू कल-कल करता पानी है, तू धरा की सिमटी माटी है, तू ही माथे की लाली है, तू कल-कल करता पानी है, तू धरा की सिमटी माटी है, तू ही माथे की लाली है,
औरत तब तक अबला है, जब तक वो एक नारी है, बन जाए मां, तो वो काली है! औरत तब तक अबला है, जब तक वो एक नारी है, बन जाए मां, तो वो काली है!
मूर्ति नहीं मैं हूं इन्सान क्यों रहा नहीं ये तुमको भान ! मूर्ति नहीं मैं हूं इन्सान क्यों रहा नहीं ये तुमको भान !
हर एक सफल आदमी के पीछे एक नारी ही होती है! हर एक सफल आदमी के पीछे एक नारी ही होती है!
आज की नारी को पहचान लो वो मूर्ति नहीं इंसान है ! आज की नारी को पहचान लो वो मूर्ति नहीं इंसान है !